हमेशा की तरह, मोहना झिझकी, मगर गुजरात का नाम सुनके मन में लालसा जागी और उसने हाँ बोल दिया| अब अहमदाबाद से जूनागढ़ स्टेशन में उतरकर मन में कई तरह के सवाल उठे - शेर के इलाके में घुसना सही था क्या? उसका पति तो साल में दो तीन बार तस्वीर खींचने जंगलों में जाता है| ये वहां क्या करेगी? तस्वीर खींचना भी तो नहीं आता है|
"गुड मॉर्निंग, मैडम," उनके गाड़ी का ड्राइवर आया| जूनागढ़ से गिर का रास्ता लम्बा था| डेढ़ घंटे लग जाएंगे| और भी यात्री उनके ग्रुप में थे| एक दुसरे से पहचान बनाने के बाद ड्राइवर पर नज़र गयी| उससे रास्ते के बारे में, रास्ते में आनेवाले जानवरों के बारे में और यहां वहाँ की बातें करने लगे| ड्राइवर ने राजनीति पर खूब गंभीर विचार सुनाए, काफ़ी समझ थी इन सब के बारे में| थोड़ी बहुत बहस भी हुई, लेकिन सब हंसी मज़ाक में|
"आप ने अपना नाम नहीं बताया?" कुछ देर बाद मोहना ने पूछा|
"आपने पूछा ही नहीं," उसने हँसते हुए कहा|
"तो अब बताइये, आप का नाम क्या है?"
"फ़िरोज़," उसने कहा| "फ़िरोज़ बलोच| हम बलोचिस्तान से हैं| हमारे परदादा के ज़माने में यहाँ के नवाब हमें जंग करने के लिए लाये थे| फ़िर हमारी वफ़ादारी देख के हमें यही अपने पास रख लिया| तब से हम यहीं हैं| अब यही हमारा कौम है|"
यह दिलचस्प खबर तो एक ट्रेलर था|
रिसॉर्ट में उतरकर वो ग्रूप ने जब तक नाश्ता ख़त्म किया तब तक उसने कमरों में सबके सामान लगवा भी दिए| "आप रेस्ट करो और ढ़ाई बजे रेडी रहना| वरना आप रिसोर्ट के बाहर की नदी तक होके आइए, बर्डिंग और मगरमछ मिल जाएंगे|"
शाम को सफ़ारी जाने के लिए गाड़ी में चढ़ते हुए राजीव ने पूछा, "सलीम भाई नहीं आए?""जी मैं उनके साथ ही हूँ, उनका भाई हूँ, सगा भाई|"
राजीव ने मोहना से बोला, "सलीम का तो बहुत नाम है, इंस्टा में हज़ारों फॉलोवर्स हैं|"
सलीम और फ़िरोज़ के साथ फोटोग्रॉफर्स और उनकी पत्नियाँ
सामने बड़े बड़े कैमरा लेके सब बैठ गए| पीछे मोहना के पास एक जगह थी| फ़िरोज़ वहां बैठ गया और जंगल पहुँचते ही उसके बारे में बताने लगा| "आपको पूरे भारत में सिर्फ गिर के जंगलों में ही शेर मिलेगा| ये तो सच्ची जंगल का राजा है| कई बार जंगल से बाहर भी गाँवों में दिख जाता है लेकिन लोगों पर वार नहीं करता| लोग भी यहां जंगलों की देखभाल करते हैं|"
जंगल के आदिवासियों के बारे में कई दिलचस्प बातें बताई| वहाँ के आदिवासी जंगल में आग लग जाए तो पहले बुझाने दौड़ते हैं| कहीं कोई जानवर ज़ख़्मी हो जाए तो फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को सतर्क करके जानवर की देखभाल करते हैं| कभी शेर या लेपर्ड गाय भैंस मारदे तो उसे भी प्रकृति का नियम मानके संयम नहीं खोते|
इतिहास में भी इन आदिवासियों ने एक मुख पात्र खेला| उन्होंने ही शिकारियों से शेरों को बचा के भी रखा| नवाब शिकार करते थे पर जैसे जैसे सिंह की संख्या कम होती गयी, आदिवासियों ने नवाब को इस खतरनाक स्थिति के बारे में सतर्क किया और शिकार रुकवाया| उनका काम देखकर नवाब ने उनको कुछ ज़मीन अपने रहने और व्यवसाय के लिए उपहार में दिया| वे उस जगह को बेच नहीं सकते लेकिन आजीवन वहां रह सकते हैं| अब सरकार ने भी उनको वहाँ रहने की अनुमति दी है लेकिन वे वहाँ पक्का घर नहीं बना सकते|
नवाब द्वारा लाये गए कुछ यूगांडा के लोग भी यहाँ एक गाँव में रहते हैं और अब तो उन्हें फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में भी काम मिलता है| वो भी इस गाँव की भाषा ही बोलते हैं| रास्ते में कुछ ऐसे लोग मिले भी|
"सलीम भाई के भाई, यहाँ गिद्ध मिलता है क्या?" राजीव ने पूछा| सब हंस पड़े और फ़ीरोज़ को 'सलीम भाई के भाई' कहकर पुकारने लगे|
फ़ीरोज़े ने सलाम किया| "उन्हीं से मैंने सब कुछ सीखा है| इस नौकरी के लिए परीक्षा लिखने के लिए भी उन्होंने ही उकसाया|"
"उनका नाम फ़ीरोज़ है," मोहना ने धीमे से राजीव को टोका, जब बार बार सब उसको 'सलीम भाई के भाई' कह के नहीं थके |
"परवीन बॉबी इन्ही नवाब खानदान की हैं|" फ़िरोज़ ने जब बोला तो मोहना जंगलों को नई नज़रों से देखने लगी| "मैडम, आप भी फ़ोटो ली जिए ना," उसने मोहना को उकसाया और अपने छोटे कैमरा में फ़ोटो कैसे लेना चाहिए, ये भी सिखाया|
"आप फ़ोटो भी अच्छा ले लेते हो|" मोहना ने उसकी तारीफ़ की|
"मैं और सलीम भाई जाते हैं न और जगहों में, वाइल्डलाइफ देखने, तो थोड़ा कर लेते हैं!"
"सलीम भाई को ढूंढते हुए लोग यहाँ आते हैं! हम को भी खूब गाइड करते हैं, और जो कुछ भी बताया, कुछ तो स्कूल में पढ़ा, पर बाकी सब उन्हीं से सीखा| ये देखिये, कुछ तस्वीरें उन्होंने लीं|" फ़िरोज़ ने मोबाइल में शेरों की अद्भुत तस्वीरें दिखाई|
कुछ नया सीखने को भी वो हरदम तैयार था| ग्रूप के एक वरिष्ठ फ़ोटोग्राफर ने बताया, "पता है, गिर की जंगलें हमें बताती हैं की भारत और अफ़्रीका कभी जुड़े थे| इसीलिए यहां शेर मिलते हैं| इस तरह की जंगलें भारत में न होने के कारण, शेर यहाँ से आगे और कहीं नहीं गए|"
"अच्छा! ये तो पहले नहीं पता था," फ़िरोज़ ने बड़ी ईमानदारी से कहा|
"शेर आदम खोर नहीं होता क्या?" मोहना ने पूछा|
"नहीं, इंसान नमक खाता है तो उसे इंसान खाने में दिचस्पी नहीं है," उसने जवाब दिया|
ऐसे ही चार दिन निकल गए| रोज़ सुबह और शाम सफ़ारी के समय फ़िरोज़ की बातें, पक्षियों को बातों बातों में ढूंढ निकालना और शेरों के दर्शन करवाना... सब बाएं हाथ का खेल लगा| सलीम भाई बगल की गाडी से इनकी गाडी का निर्देशन भी करता रहा| कभी कभी छोटे को डाँट भी पड़ती| सलीम का अनुभव तब बोलता दिखाई देता|
एक शाम सलीम इन लोगों के साथ बैठा और उसने भी इनको जिर के जंगलों और अपने अनुभव के बारे में बात की| फ़िरोज़ के और सलीम के कहानियों में ज़्यादा अंतर नहीं था पर फ़िर से सुनते वक्त भी उतना ही दिलचस्प लगा| लेकिन एक बात जो उसने कही, बहुत ही दीर्घदर्शी थी - "जो कमाता हूँ, उसमें कुछ वाइल्डलाइफ के लिए रखता हूँ| हमेशा हम अपने बच्चों का ही सोचते हैं, अपने लिए कुछ नहीं करते| लेकिन मुझे लगता है बच्चों को शिक्षा देके अपने पाँव में खड़े होने के काबिल बनाना चाहिए, बस| अपने लिए भी कुछ रखना चाहिए और अपने सपनों को भी माँ बाप को पूरा करना चाहिए|"
सलीम और फ़िरोज़ छुट्टियों में राजस्थान और अलग अलग सफ़ारी देखने निकल पड़ते हैं|
राजीव ने जब उसके खींचे हुए जानवरों की तस्वीरें देखी, बहुत संतुष्ट हुआ| "फ़िरोज़ काफ़ी जानकार है| हमें काफ़ी फोटो लेने का मौका मिला| फ़िरोज़ भाई के भाई ने काफ़ी अच्छी ट्रेनिंग दी है| फ़िरोज़ भाई के भाई का नाम क्या है?" राजीव ने पूछा|
मोहना ने राजीव को चौंक कर देखा| उसके नटखट मुस्कान से वो समझ गई कि राजीव उसकी टांग खींच रहा है| "बस अब फ़िरोज़ भाई का भाई ही समझो उसका नाम," उसने भी मज़ाक में कहा|
Wowww
ReplyDeleteThank you
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